Haryana Internet Ban News: हरियाणा सरकार ने मंगलवार को भिवानी और चरखी दादरी जिलों में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं पर रोक लगाने का फैसला किया है। यह आदेश 21 अगस्त सुबह 11 बजे तक लागू रहेगा। प्रशासन का कहना है कि यह कदम शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इंटरनेट प्रतिबंध का कारण
13 अगस्त को स्थानीय स्कूल अध्यापिका मनीषा की संदिग्ध मौत के बाद दोनों जिलों में लोगों का गुस्सा उभर कर सामने आया। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए और स्थिति तनावपूर्ण बन गई। प्रशासन को आशंका है कि सोशल मीडिया के ज़रिये फैलाई गई अफवाहें भीड़ को और भड़का सकती हैं।
शिक्षा और व्यापार पर असर
जिन छात्रों की पढ़ाई और ऑनलाइन कक्षाएँ इंटरनेट पर निर्भर हैं, वे प्रभावित हो रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए ऑनलाइन टेस्ट सीरीज व कोर्स तक पहुँच मुश्किल हो गई है। छोटे व्यापारियों और दुकानदारों के लिए ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम (जैसे UPI) आंशिक रूप से प्रभावित हुआ है। हालांकि सरकार ने बैंकिंग व मोबाइल रिचार्ज सेवाओं को छूट दी है।
अफवाहों का खतरा
पिछले कुछ वर्षों के अनुभव बताते हैं कि हरियाणा में तनाव की स्थिति में सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें तेजी से फैलती हैं। प्रशासन का कहना है कि इंटरनेट बंदी से अफवाहों पर लगाम लगाई जा सकती है। हाल ही में कई व्हाट्सऐप ग्रुप्स पर मनगढ़ंत संदेश वायरल हुए थे। प्रशासन को डर है कि यदि इन्हें रोका नहीं गया तो विरोध प्रदर्शन हिंसक हो सकते हैं।
जनता की परेशानी
छात्रों और नौकरीपेशा युवाओं को सबसे ज्यादा समस्या हो रही है। ऑनलाइन ऑर्डर और डिलीवरी सेवाएँ भी प्रभावित हैं। ग्रामीण इलाकों में किसानों को मंडियों और फसलों की कीमतों की जानकारी समय पर नहीं मिल पा रही।
प्रशासन की रणनीति
इंटरनेट बंदी के साथ-साथ जिलों में पुलिस गश्त भी बढ़ाई गई है। अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध अस्थायी है और स्थिति सामान्य होते ही हटा लिया जाएगा।
हरियाणा में पहले भी लागू हुई इंटरनेट बंदी
हरियाणा में इंटरनेट बंदी कोई नई बात नहीं है। 'किसान आंदोलन' (2021) के दौरान कई जिलों में लंबे समय तक इंटरनेट बंद किया गया था। 'जाट आरक्षण आंदोलन' (2016) में भी इंटरनेट सेवाएँ ठप रही थीं।
अब भिवानी और चरखी दादरी में यह ताज़ा आदेश एक बार फिर सवाल खड़े करता है कि इंटरनेट बंदी क्या सचमुच समाधान है या आम जनता पर बोझ? कुल मिलाकर, इंटरनेट बंदी प्रशासन के लिए कानून व्यवस्था संभालने का एक त्वरित कदम है, लेकिन इससे छात्रों, व्यापारियों और आम जनता की दैनिक जिंदगी पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अफवाहों से निपटने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकती?