सरकार का चौंकाने वाला फैसला — इनकम टैक्स बिल 2025 रद्द, जानिए पूरी खबर।
आज 08 अगस्त 2025 को केंद्र सरकार ने तकनीकी सुधार और बदलावों का हवाला देते हुए फरवरी में पास हुए income tax बिल 2025 को वापस ले लिया है। वहीं विपक्ष ने इस पर तंज कसते हुए मौजूदा सरकार की नीतिगत उलझन बताया। नया संस्करण 11 अगस्त 2025 को संसद में पेश किया जाएगा।
Aug 8, 2025, 17:53 IST
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KHABARDAR INDIA, New Delhi: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद में पेश इनकम टैक्स बिल 2025 को वापस लेने का ऐलान किया। सरकार का कहना है कि बिल में कुछ बदलाव और तकनीकी सुधार ज़रूरी हैं, इसलिए अब इसका नया संस्करण सोमवार को संसद में पेश किया जाएगा। इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों से लेकर आम करदाताओं तक सबका ध्यान खींच लिया है।
क्यों वापस लिया गया बिल?
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, बिल में टैक्स स्लैब, छूट की सीमा और डिजिटल लेनदेन से जुड़े नियमों में संशोधन की ज़रूरत है। अगर इसे बिना सुधार के पास किया जाता, तो आगे चलकर समस्याएं आ सकती थीं। इसी कारण सरकार ने इसे फिलहाल रोककर बेहतर रूप में लाने का फैसला लिया।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस कदम को सरकार की “नीतिगत उलझन” बताया है। उनका कहना है कि नया बिल पेश करने से पहले सभी दलों और विशेषज्ञों से चर्चा होनी चाहिए, ताकि आम जनता और कारोबारियों को राहत मिल सके।
बाजार पर असर
बिल वापसी की खबर आते ही शेयर बाजार में हल्की गिरावट देखी गई। हालांकि, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर नए बिल में निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने वाले कदम होंगे, तो बाजार में फिर से सकारात्मक माहौल बन सकता है।
इनकम टैक्स बिल का संक्षिप्त इतिहास
भारत में इनकम टैक्स कानून की शुरुआत 1860 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी, जब पहली बार आय पर कर लगाया गया। आज़ादी के बाद 1961 में इनकम टैक्स एक्ट लागू किया गया, जो आज भी आयकर से जुड़े सभी नियमों का आधार है। समय-समय पर सरकारें इसमें बदलाव करती रही हैं, जैसे कि टैक्स दरों में कमी-बढ़ोतरी, नई छूट योजनाएं और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के नियम।
अब 2025 का नया संस्करण भी इन्हीं सुधारों की कड़ी में एक अहम कदम माना जा रहा है।
नए आयकर विधेयक 2025 से क्या उम्मीदें हैं?
हालांकि नए बिल के प्रावधानों की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इसमें कुछ अहम बदलाव देखने को मिल सकते हैं:
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टैक्स स्लैब्स को सरल करना – आम करदाताओं के लिए दरें और छूट स्पष्ट होंगी।
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डिजिटल प्रोसेस पर जोर – सभी रिटर्न और नोटिस डिजिटल माध्यम से निपटेंगे।
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विवाद निपटान में तेजी – अपील और सुनवाई के लिए आसान प्रक्रिया।
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पारदर्शिता और भ्रष्टाचार में कमी – जटिल कानूनी भाषा की जगह आसान हिंदी/अंग्रेजी शब्दावली।