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भारतीय संसद ने पास किया इंडियन पोर्ट्स बिल 2025, तटीय विकास व डिजिटलीकरण को मिलेगी नई रफ्तार

The Indian Ports Bill 2025: भारतीय संसद ने इंडियन पोर्ट्स बिल 2025 पारित किया। यह कानून बंदरगाहों के डिजिटलीकरण, हरित मानकों और संयुक्त राज्य नीति को बढ़ावा देता है।
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KHABARDAR INDIA: इंडियन पोर्ट्स बिल 2025: अब डिजिटल होंगे भारत के बंदरगाह, कारोबार को मिलेगी रफ्तार

संसद में पास हुआ ऐतिहासिक इंडियन पोर्ट्स बिल 2025

भारतीय संसद ने सोमवार को इंडियन पोर्ट्स बिल 2025 को मंजूरी दे दी, जिससे 117 साल पुराने कानून की जगह अब आधुनिक बंदरगाह प्रबंधन और विकास को बढ़ावा देने वाला कानून लागू होगा। इस बिल के तहत भारत के कोस्टलाइन पर बंदरगाहों की एकीकृत नीति, डिजिटलीकरण और पर्यावरणीय मानकों पर विशेष ध्यान दिया गया है। अगले कदम के रूप में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा।

प्रमुख सुधार और डिजिटल इंटीग्रेशन

  • मैरिटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (MSDC):
    केंद्रीय व राज्य प्रतिनिधियों से बनी परिषद अब बंदरगाह विकास की नीतियों का समन्वय करेगी।

  • राज्य मैरीटाइम बोर्ड:
    गैर-प्रमुख बंदरगाहों का संचालन अब और मजबूत एवं पारदर्शी होगा।

  • ऑनलाइन सिंगल विन्डो सिस्टम:
    सभी बंदरगाहों पर डिजिटल डेटा एक्सचेंज अनिवार्य, जिससे प्रक्रियाएं सरल व तेज होंगी।

  • विवाद समाधान:
    नई कमेटियां बनाई जाएंगी जो बंदरगाह विवादों का त्वरित समाधान करेंगी।

  • पुरानी धाराओं का निष्कासन:
    अब कई अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया एवं अप्रासंगिक धाराएं हटाई गईं।

पर्यावरण और सुरक्षा मानक

  • सभी बंदरगाहों पर कचरा प्रबंधन (वेस्ट रिसेप्शन) सुविधा अनिवार्य।

  • अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (जैसे MARPOL) के अनुरूप प्रदूषण नियंत्रण के नियम लागू।

  • बंदरगाहों को आपदा प्रबंधन और सुरक्षा नीति बनानी होगी।

  • नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को प्रोत्साहित किया गया है—जैसे सौर ऊर्जा—जिससे कॉर्बन उत्सर्जन कम किया जा सके।

नई टैरिफ नीति और निवेश

  • बंदरगाहों को टैरिफ निर्धारण में अधिक स्वायत्तता मिली—अब प्रतिस्पर्धी दरों पर टैरिफ तय करना संभव।

  • टैरिफ का इलेक्ट्रॉनिक पब्लिशिंग अनिवार्य—पारदर्शिता बढ़ी।

  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी व विदेशी निवेश के लिए विशेष प्रावधान—आधुनिक व बड़े पोर्ट प्रोजेक्ट्स को लाभ।

मैरिटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (MSDC) की भूमिका

  • MSDC, केंद्र व राज्यों के बीच नीति समन्वय का मुख्य मंच है।

  • पिछली बैठक में 100 से अधिक फैसलों को पारित किया गया, जिसमें तटीय कनेक्टिविटी, बंदरगाह आधारभूत ढांचा, हरित प्रौद्योगिकी और पोर्ट सुरक्षा शामिल थीं।

  • MSDC 'सागरमाला' जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स पर भी नजर रखती है, जिससे 2035 तक 5.79 लाख करोड़ रुपये के निवेश की संभावनाएं हैं।

संसदीय बहस और विपक्ष का वॉकआउट

राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष ने बिहार की मतदाता सूची और अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए वॉकआउट किया।
वहीं, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में एनडीए सरकार ने 11 नई समुद्री विधायिकाएं लाई हैं, जबकि पूर्ववर्ती सरकार ने केवल एक कानून बनाया था।
उनका कहना था, "यही सुधार की ताकत है, जिससे भारत समुद्री दुनिया में अग्रणी बन सकता है।"

विशेषज्ञों की राय

  • विशेषज्ञों का मानना है कि नए कानून से भारत के पोर्ट्स ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप होंगे।

  • डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।

  • ग्रीन पोर्ट्स की दिशा में बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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