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सत्यपाल मलिक का निधन: राज्यपाल से जननायक तक का सफर | संपत्ति, विवाद और विरासत...

Satyapal Malik Death News:5 अगस्त 2025 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक चुप्पी छा गई…जिस शख्स ने सत्ता के सामने सच बोलने का साहस किया, वो हमेशा के लिए खामोश हो गया। पूर्व राज्य पाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया। जानिए उनके राजनीतिक सफर, संपत्ति, पुलवामा विवाद, किसान आंदोलन पर रुख और CBI जांच तक के पूरे..
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पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक

 प्रारंभिक जीवन एवं राजनीतिक यात्रा
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव के जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से बी.एससी. और एल.एल.बी. की पढ़ाई की है छात्र राजनीति में सक्रिय होकर 1974 में भागपत से MLA बने (भाजतीय क्रांति दल से), जिसके बाद 1980 से 1989 तक राज्यसभा सदस्य रहे; फिर 1989–91 में लोकसभा सदस्य (अलीगढ़ से, जनता दल) रहे।बाद में उन्होंने लोकदल, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी से जुड़कर 2004 में BJP का दामन थामा; विशेष रूप से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय उन्होंने पार्टी‑सक्रियता बढ़ाई।

राज्यपाल पद की जिम्मेदारियाँ
30 सितंबर 2017 – 21 अगस्त 2018: बिहार के राज्यपाल; साथ ही मार्च–मई 2018 तक ओडिशा का अतिरिक्त कार्यभार संभाला। 23 अगस्त 2018 – 30 अक्टूबर 2019: जम्मू एवं कश्मीर के अंतिम राज्यपाल; during this tenure Article 370 हटा (5 अगस्त 2019) और J&K को दो संघशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। 3 नवंबर 2019 – 18 अगस्त 2020: गोवा के राज्यपाल। 18 अगस्त 2020 – 3 अक्टूबर 2022: मेघालय के राज्यपाल रहे और अक्टूबर 2022 में पद से सेवानिवृत्त हुए।


विवाद और बेबाक बयानबाजी 


पुलवामा हमला (फरवरी 2019): मलिक ने कहा कि CRPF जवानों को हवाई यात्रा की अनुमति नहीं दी गई थी। उन्होंने इसे एक "गंभीर खुफ़िया विफलता" बताया और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और NSA ने उनसे इस मुद्दे पर चुप रहने को कहा था।

किसान आंदोलनों में समर्थन: 2020–21 के किसान आंदोलन में उन्होंने खुलकर किसानों का समर्थन किया और सरकार की नीतियों की आलोचना की; यह दूरी BJP से बढ़ जाने का संकेत बनी।

CBI द्वारा आरोपपत्र: मई 2025 में, CBI ने ₹2,200 करोड़ के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में कथित भर्त्सना‑घोटाले के सिलसिले में मलिक, उनके निजी सचिवों और अन्य पर आरोपपत्र दायर किया। वही उन्होंने दावा किया था कि उन्हें ₹300 करोड़ रिश्वत की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। बाद में उन्होंने आरोप लगाया कि जांच सही लोगों पर नहीं हो रही, उनके घर खोजे गए।

 

स्वास्थ्य संकट और अस्पताल में भर्ती
11 मई 2025 से मलिक को Ram Manohar Lohia Hospital (RML), दिल्ली में भर्ती किया गया था, प्राथमिक रूप से एक गंभीर urinary tract infection के कारण; बाद में उन्हें किडनी फेल, सेप्टिक शॉक, हनिमोनिया, और मल्टी‑ऑर्गन डिसफंक्शन जैसे गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ा। 


निधन तथ्य और तिथियाँ
सत्यपाल मलिक का निधन 5 अगस्त 2025 को स्थानीय समयानुसार दोपहर लगभग 1:12 बजे RML हॉस्पिटल, दिल्ली में हुआ। अस्पताल के बयान के अनुसार, उनकी मौत का कारण था: refractory septic shock, hospital‑acquired pneumonia, disseminated intravascular coagulation (DIC), acute kidney injury on chronic kidney disease, multiple organ dysfunction, जिसमें aggressive medical interventions (dialysis, antibiotics, ventilatory support) असफल रहे। मौत की पुष्टि उनके आधिकारिक X अकाउंट और उनकी सचिव द्वारा साझा की गई पोस्ट द्वारा की गई थी। मलिक 79 वर्ष की आयु में इस दुनिया से विदा हुए।

 

अंतिम संस्कार
उनके निजी सचिव कंवर सिंह राणा ने X के ऑफिशियल अकाउंट से पोस्ट किया कि उनका अंतिम संस्कार कल दोपहर 3 बजे दिल्ली में लोधी रोड स्वर्ग आश्रम में होगा उनका पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए उनके निवास स्थान सोम विहार मल्टी स्टोरी कॉम्प्लेक्स आर के पूरम सेक्टर 12 में रहेगी।अंतिम यात्रा कल दोपहर 3 बजे उनके निवास स्थान से लोधी रोड प्रस्थान करेगी।

 

सत्यपाल मलिक की संपत्ति
सत्यपाल मलिक ने 2004 में बीजेपी के टिकट पर बागपत से लोकसभा चुनाव लड़ते समय अपने हलफनामे में अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था। उस समय उन्होंने लगभग ₹76 लाख की कुल संपत्ति तथा ₹3 लाख से अधिक की देनदारी घोषित की थी । जिसमें से लगभग ₹19 लाख बैंक जमा राशि, लगभग ₹2.10 लाख की बॉन्ड/शेयर में निवेश, लगभग 180 ग्राम सोना, दी गई कुल चल संपत्ति की कुल राशि लगभग ₹22 लाख थी ।लगभग 21.2 एकड़ कृषि भूमि जिसकी कीमत उस समय ₹13 लाख से अधिक आंकी गई थी, और  ₹40 लाख की कीमत के मकान थे। इस तरह, 2004 के अंतिम सार्वजनिक घोषणा तक उनका कुल नेटवर्थ लगभग ₹1 करोड़ से भी कम था, जबकि देनदारियाँ लगभग ₹3‑4 लाख के करीब थीं।

उनके जीवन की विरासत और आलोचनात्मक समीक्षा
सत्यपाल मलिक ने लगभग पाँच दशकों तक भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई—कई पार्टियों में और विभिन्न संवैधानिक पदों पर कार्य किया। उनकी सबसे चर्चित भूमिका थी जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में, जहां उन्होंने अनुच्छेद 370 के हटने में संवैधानिक रूप से ज़रूरी वक्तव्य निभाया। दूसरी ओर, उनके राजनीतिक सुविदाएं और बयान, विशेषकर कर्मकांड, केंद्र सरकार से उनके मतभेद, और भ्रष्टाचार के आरोप, उन्हें एक विवादास्पद लेकिन मुखर नेता के रूप में स्थापित करते हैं। आलोचक कहते हैं कि उनकी विद्रोही शैली ने उन्हें लोकप्रिय बना दिया परंतु सामूहिक समर्थन नहीं दिलाया, क्योंकि पार्टी-रहित होकर उन्होंने ज्यादातर अकेलापन चुना। फिर भी, उनकी मुखरता, व्यक्तिगत सिद्धांतों और जनहितैषी आदर्शों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक अलग पहचान दी।

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