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नीतीश सरकार पर दबाव, 7वें वेतनमान को लेकर बिहार में शिक्षकों का प्रदर्शन

बिहार में शिक्षकों का गुस्सा उबाल पर है। 7वें वेतनमान की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे गुरुजन ने नीतीश सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है। सवाल ये है कि क्या सरकार उनकी मांगें मानकर तनाव खत्म करेगी या टकराव और गहरा जाएगा?

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बिहार में शिक्षकों का 7वें वेतनमान की मांग को लेकर पटना में जोरदार प्रदर्शन, बैनर और पोस्टर के साथ नारेबाज़ी करते शिक्षक।

KHABARDAR INDIA: पटना, बिहार में शिक्षकों का 7वें वेतनमान को लेकर आंदोलन फिर से तेज़ हो गया है। राज्य भर के हज़ारों शिक्षक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने और अपनी मांग रखने के लिए पटना पहुंचे। उनका कहना है कि उन्हें लंबे समय से 7वें वेतन आयोग के तहत वेतनमान का लाभ नहीं मिला, जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों को इसका फायदा पहले ही दिया जा चुका है।

बिहार और अन्य राज्यों में शिक्षकों के वेतन में स्पष्ट अंतर

बिहार के स्कूल शिक्षकों की मांग 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के अनुसार वेतनमान लागू करने की है। आइए एक नजर डालते हैं उनकी वेतन वृद्धि और अन्य राज्यों से उनका तुलनात्मक विश्लेषण:

बिहार में शिक्षक वेतनमान

प्राथमिक (कक्षा 1–5) शिक्षक – बेसिक वेतन ₹25,000। DA, HRA, चिकित्सा भत्ता, CTA सहित कुल इन-हैंड वेतन ₹38,010 से ₹47,768 तक जाता है 

मिडिल स्कूल (कक्षा 6–8) शिक्षक – बेसिक ₹28,000 पर कुल वेतन लगभग ₹54,370 

हायर सेकेंडरी (कक्षा 11–12) शिक्षक – बेसिक ₹32,000, कुल वेतन लगभग ₹61,690 

अन्य राज्यों में वेतनमान — केंद्र सरकार के अनुसार

केंद्रीय सरकारी स्कूलों में 7वें पे कमीशन के तहत प्रशिक्षित शिक्षकों की बेसिक वेतन सीमा ₹29,900 – ₹1,04,400 और कुल नेट वेतन ₹43,000–₹46,000 के आसपास हो सकता है 

इस तुलना से साफ दिखता है कि केंद्रीय शिक्षक वेतनमान में बिहार राज्य शिक्षकों की तुलना में थोड़ा अधिक प्रारंभिक भुगतान मिलता है।

पटना उच्च न्यायालय का फैसला भी शिक्षकों की मांग का समर्थन करता है—उन्होंने 2006–12 में नियुक्त Graduate-Trained शिक्षकों को ग्रेड पे ₹11,000 मासिक के अनुसार वेतन देने का आदेश दिया है जो वर्तमान असमानता को दूर करने वाला कदम माना जा रहा है।

शिक्षकों की तरफ से दलील

शिक्षकों का कहना है कि वे लगातार राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में जुटे हैं, लेकिन उन्हें आर्थिक रूप से पीछे रखा जा रहा है। उनका आरोप है कि वेतन विसंगति के कारण कई शिक्षक वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। एक शिक्षक ने कहा, “हम सिर्फ अपना हक़ मांग रहे हैं, जो देश के अन्य राज्यों के शिक्षकों को पहले ही मिल चुका है।”

  • सभी शिक्षकों – ट्रेनिंग स्तर के अनुसार – के लिए एकरूप वेतनमान सुनिश्चित किया जाए।

  • [Contract teachers] और [Regular teachers] के बीच वेतन असमानता को समाप्त किया जाए।

  • उच्चतम न्यायालय और स्थानीय अदालतों (जैसे पटना HC) के आदेशों के अनुसार ग्रेड पे का भुगतान सभी पात्र शिक्षकों को नियमित रूप से किया जाए।

सरकार का पक्ष

वहीं, बिहार सरकार का कहना है कि 7वें वेतनमान को लागू करने के लिए भारी बजट की आवश्यकता है और इसके लिए वित्तीय संसाधनों का संतुलन बनाना ज़रूरी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, राज्य पहले से कई विकास योजनाओं में निवेश कर रहा है, ऐसे में तुरंत वेतनमान लागू करना मुश्किल है, लेकिन इस पर विचार जारी है।

 

सरकार और शिक्षकों के बीच बातचीत का दौर जारी है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कोई ठोस समाधान निकल सकता है। फिलहाल, शिक्षकों का आंदोलन और सरकार का बजटीय संतुलन – दोनों ही बिहार की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

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