भारत सहित पूरी दुनिया में हनुमान जी को आस्था, शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। करोड़ों हिंदू उन्हें कल्याुग के देवता के रूप में पूजते हैं और मानते हैं कि वे आज भी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। ऐसे में कंबोडिया से जुड़ा एक विवाद सामने आया है, जिसने हिंदू समाज की भावनाओं को गहराई से आहत किया है।
मामला क्या है?
कंबोडिया में एक शराब कंपनी ने अपने ब्रांड का नाम “Hanuman” रखा है और बोतलों पर हनुमान जी जैसी आकृति और तस्वीर का उपयोग किया है। भक्तों का कहना है कि किसी देवता की छवि को शराब जैसी वस्तु से जोड़ना बेहद आपत्तिजनक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला कदम है।
कंपनी के लिए यह शायद एक मार्केटिंग रणनीति हो सकती है, लेकिन हिंदू समुदाय और धार्मिक नेताओं ने इसे आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है।
धार्मिक गुरुओं का विरोध
भारत के कई प्रमुख धर्मगुरुओं ने इस मामले पर नाराज़गी जाहिर की है।
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा, “हनुमान जी पवित्रता और अटूट भक्ति के प्रतीक हैं। उनका नाम शराब से जोड़ना करोड़ों हिंदुओं की आस्था का अपमान है। इसे तत्काल रोका जाना चाहिए।”
आचार्य सत्येंद्र दास, (मुख्य पुजारी, श्री राम जन्मभूमि मंदिर) ने कहा, “हनुमान जी ने अपना संपूर्ण जीवन प्रभु श्रीराम की सेवा में समर्पित किया। उनकी तस्वीर का प्रयोग शराब बेचने के लिए करना गहन रूप से आपत्तिजनक और असम्मानजनक है।”
स्वामी चिदानंद सरस्वती (परमार्थ निकेतन) ने कहा, “कंबोडिया का इतिहास सनातन धर्म से गहराई से जुड़ा हुआ है। ऐसे में देवता की छवि का उपयोग शराब पर करना सांस्कृतिक विरासत का अपमान है। स्थानीय प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”
भक्तों की भावनाएँ
सोशल मीडिया पर और प्रवासी हिंदू समुदायों में इस मामले को लेकर गुस्सा देखा गया है। कई लोगों का कहना है कि यह महज़ सांस्कृतिक असंवेदनशीलता नहीं, बल्कि व्यावसायिक फायदे के लिए धार्मिक प्रतीकों का गलत इस्तेमाल है।
कंबोडिया के इतिहासकारों का मानना है कि वहाँ का महाकाव्य रीमकेर (रामायण का स्थानीय रूप) हनुमान जी को लोकप्रिय चरित्र बनाता है, शायद इसी कारण कंपनी ने उनका नाम और तस्वीर चुनी। लेकिन हिंदू श्रद्धालुओं के लिए इस तरह का उपयोग किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
यह विवाद अब भारत सरकार के संज्ञान में भी पहुँच चुका है। विदेश मंत्रालय (MEA) को कई संगठनों ने ज्ञापन सौंपकर माँग की है कि कंबोडिया सरकार से इस मामले में औपचारिक बातचीत की जाए।
एक वरिष्ठ मंत्रालय अधिकारी ने अनौपचारिक बातचीत में कहा, “हमें हिंदू समुदाय की चिंताओं की जानकारी है। शराब की बोतलों पर भगवान हनुमान की तस्वीर और नाम का इस्तेमाल असंवेदनशील है। हम कंबोडिया पक्ष के साथ इस पर चर्चा करेंगे।”
वहीं कंबोडिया में बसे हिंदू संगठनों ने भी स्थानीय प्रशासन और नियामकों से ब्रांड पर रोक लगाने या उसकी री-ब्रांडिंग करने की अपील की है। उनका कहना है कि यह कदम कंबोडिया की छवि को भी नुकसान पहुँचा सकता है, क्योंकि यह देश अपनी हिंदू-बौद्ध धरोहर के लिए दुनिया भर में जाना जाता है।
त्योहारों से पहले बढ़ा विवाद
यह विवाद ऐसे समय सामने आया है जब भारत में नवरात्रि और दीपावली जैसे बड़े त्योहार आने वाले हैं। इन मौकों पर धार्मिक भावनाएँ और अधिक गहरी हो जाती हैं। साथ ही भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को मज़बूत करने की कोशिशें भी चल रही हैं। ऐसे में यह घटना संवेदनशील विषय बन गई है।
धर्मगुरुओं और संगठनों की माँगें
धर्मगुरुओं और संगठनों की माँग है कि कंपनी तुरंत इस ब्रांड को बाज़ार से हटाए या फिर बिना हनुमान जी के नाम और तस्वीर के नए रूप में पेश करे। साथ ही भारत सरकार से भी अपेक्षा की जा रही है कि वह इस मामले को उच्च स्तर पर उठाए।
यदि दबाव बढ़ा तो कंपनी को न केवल उत्पाद हटाना पड़ेगा बल्कि माफ़ी भी माँगनी पड़ सकती है।
हनुमान जी हिंदू धर्म में भक्ति, शक्ति और निष्ठा के प्रतीक हैं। उनकी छवि को शराब जैसे उत्पाद से जोड़ना न केवल धार्मिक आस्थाओं को आहत करता है बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि व्यावसायिक लाभ के लिए धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल कितना उचित है। भारत और कंबोडिया के सांस्कृतिक रिश्ते गहरे हैं, लेकिन यह विवाद इस बात की याद दिलाता है कि विविध समाजों में धार्मिक प्रतीकों के सम्मान की ज़िम्मेदारी सबसे ऊपर है।