नवरात्रि पूजा 2025: सही विधि और गुप्त नियम जो बहुत कम लोग जानते हैं। जानें कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक पूरी डिटेल?
नवरात्रि पूजा 2025 की सही विधि और गुप्त नियम जानें। कलश स्थापना से लेकर अखंड ज्योति और कन्या पूजन तक संपूर्ण गाइड पढ़ें और प्राप्त करें देवी दुर्गा का आशीर्वाद।

नवरात्रि, देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व है। यह त्योहार साल में चार बार आता है, जिनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। “नवरात्रि” का अर्थ है नौ रातें, जिनमें भक्त देवी शक्ति की उपासना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महिषासुर नामक राक्षस ने त्रिलोक में आतंक मचा दिया था, तब देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक उससे युद्ध कर दसवें दिन विजय प्राप्त की। तभी से नवरात्रि का पर्व शक्ति की आराधना के रूप में मनाया जाता है।
नवरात्रि के प्रकार
भारत में नवरात्रि मुख्य रूप से तीन रूपों में मनाई जाती है।
चैत्र नवरात्रि
यह नवरात्रि चैत्र मास में पड़ती है और नववर्ष के आरंभ का प्रतीक मानी जाती है।
शारदीय नवरात्रि
आश्विन मास में आने वाली यह नवरात्रि सबसे लोकप्रिय है। दुर्गा पूजा और गरबा इसी नवरात्रि में होते हैं।
गुप्त नवरात्रि
यह खासतौर पर साधकों और तांत्रिकों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है और गुप्त रूप से मनाई जाती है।
नवरात्रि पूजा की तैयारी
नवरात्रि के दौरान पूजा की तैयारी बहुत अहम मानी जाती है।
घर की शुद्धि और सजावट
पूजा शुरू करने से पहले घर की सफाई और शुद्धि करनी चाहिए। घर में पवित्र वातावरण बनाए रखने के लिए दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
पूजन सामग्री की सूची
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लाल कपड़ा
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नारियल
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कलश
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गंगाजल
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अक्षत (चावल)
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सुपारी
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फूल और माला
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देवी की प्रतिमा या फोटो
नवरात्रि पूजा की विधि (स्टेप-बाय-स्टेप)
कलश स्थापना प्रक्रिया
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। कलश में गंगाजल भरकर, उसमें सुपारी, अक्षत और सिक्का डालें। ऊपर नारियल रखकर लाल कपड़े से ढकें और आम या अशोक के पत्तों से सजाएँ। कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। इसे स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि आती है।
घट स्थापना
कलश के पास मिट्टी से एक पात्र बनाकर उसमें जौ बोए जाते हैं। नौ दिनों तक इन जौओं की देखभाल करना शुभ माना जाता है। यह नए जीवन और समृद्धि का प्रतीक है।
देवी की प्रतिमा या फोटो की स्थापना
माता दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को साफ स्थान पर लाल कपड़े पर स्थापित करें। रोज सुबह-शाम उन्हें फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
अखंड ज्योति का महत्व
नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने की परंपरा है। यह ज्योति न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखती है, बल्कि यह भक्त और देवी के बीच निरंतर संपर्क का प्रतीक भी है।
नवरात्रि के नौ दिन और देवी के स्वरूप
प्रथम दिन – शैलपुत्री
पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है। ये पर्वत राज हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं और इन्हें शक्ति का आधार कहा जाता है।
द्वितीय दिन – ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या और संयम की देवी हैं।
तृतीय दिन – चंद्रघंटा
तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की आराधना होती है। इनके माथे पर अर्धचंद्र है और ये शांति व साहस का प्रतीक हैं।
चतुर्थ दिन – कूष्मांडा
चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा होती है। मान्यता है कि उन्होंने ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति की।
पंचम दिन – स्कंदमाता
पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं।
षष्ठम दिन – कात्यायनी
छठे दिन माता कात्यायनी की आराधना होती है। ये वीरता और साहस की प्रतीक देवी मानी जाती हैं।
सप्तम दिन – कालरात्रि
सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है। ये अंधकार और नकारात्मकता का नाश करती हैं।
अष्टम दिन – महागौरी
आठवें दिन महागौरी की आराधना होती है। ये पवित्रता और शांति की देवी मानी जाती हैं।
नवम दिन – सिद्धिदात्री
नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ये भक्तों को सिद्धियां और वरदान प्रदान करती हैं।
उपवास और भोजन नियम
व्रत रखने के नियम
नवरात्रि के दौरान उपवास रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और सात्विक जीवन जीना चाहिए।
उपवास के दौरान खाने योग्य चीज़ें
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साबूदाना खिचड़ी
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कुट्टू का आटा
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सिंघाड़े का आटा
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फल और दूध
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मखाने
किन चीज़ों से परहेज करना चाहिए
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प्याज और लहसुन
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मांस और मदिरा
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तामसिक भोजन
अष्टमी और नवमी की विशेष पूजा
कन्या पूजन की विधि
अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार दिए जाते हैं। यह विधि शक्ति की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण भाग है।
भोग और प्रसाद का महत्व
भक्त माता को हलवा, पूड़ी और चना का भोग लगाते हैं। प्रसाद को सभी भक्तों में बांटा जाता है ताकि सभी को देवी का आशीर्वाद मिले।
नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें
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रोज सुबह-शाम आरती करें।
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लाल रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
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झगड़े और नकारात्मक बातों से बचें।
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शराब और मांसाहार से परहेज करें।
नवरात्रि से जुड़ी मान्यताएँ और परंपराएँ
नवरात्रि में गरबा और डांडिया का आयोजन गुजरात और पश्चिम भारत में प्रसिद्ध है। वहीं, बंगाल में दुर्गा पूजा भव्य रूप से मनाई जाती है।
नवरात्रि पूजा का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व
नवरात्रि के दौरान उपवास रखने से शरीर डिटॉक्स होता है। ध्यान और भक्ति से मन शुद्ध होता है और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना से जीवन में ऊर्जा, साहस और शांति मिलती है। सही विधि से की गई नवरात्रि पूजा व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक बल प्रदान करती है।