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फिलिस्तीन को मिला दुनिया का साथ, फ्रांस और ब्रिटेन बोले अब बहुत हो गया!

31 जुलाई 2025— दुनिया के दो बड़े देश फ्रांस और ब्रिटेनने कहा है कि वो अब फिलिस्तीन को एक आज़ाद देश के तौर पर मान्यता देंगे। उन्होंने ये ऐलान ऐसे समय किया है जब फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच संघर्ष बहुत बढ़ गया है और ग़ाज़ा में हालात बहुत खराब हैं। ये दोनों देश सितंबर 2025 तक फिलिस्तीन को एक देश मान लेंगे अगर इज़राइल ने कुछ ज़रूरी बातें ना मानी  जैसे ग़ाज़ा में लड़ाई बंद करे और फिलिस्तीनी इलाकों में ज़बरदस्ती कब्ज़ा करना बंद करे।

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फ्रांस और ब्रिटेन ने फिलिस्तीन को देश माना

फ्रांस का ऐलान

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि उनका देश अब और इंतज़ार नहीं करेगा। उन्होंने साफ़ कहा कि फिलिस्तीन को आज़ाद देश मानना ज़रूरी है, ताकि वहां के लोगों को इंसाफ़ मिल सके। उनका कहना है कि जब तक ग़ाज़ा में गोलीबारी बंद नहीं होती, वहां के बच्चों और आम लोगों को राहत नहीं मिल सकती।

 

ब्रिटेन की बड़ी बात

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी कहा कि वो फिलिस्तीन को देश मानने के लिए तैयार हैं।अगर इजरायल उनकी शर्तें नहीं मानता है, जैसे कि इज़राइल पहले हिंसा रोके, और बातचीत की मेज़ पर आए। ब्रिटेन में बहुत से लोग इस फैसले से खुश हैं, खासकर वे जो फिलिस्तीन के लिए इंसाफ़ की मांग करते रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों को डर है कि इससे इज़राइल और नाराज़ हो सकता है।

 

और कौन-कौन देश मानेंगे?

फ्रांस और ब्रिटेन के इस फैसले के बाद कनाडा, माल्टा, ग्रीस, बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग जैसे और कई देशों ने भी कहा है कि वो फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मानेंगे। इससे दुनिया में एक नया माहौल बन गया है। अब लोग दो टुकड़ों में बंट गए हैं:

  • एक तरफ़ वो जो चाहते हैं कि फिलिस्तीन को उसका हक़ मिले,

  • और दूसरी तरफ़ वो जो इज़राइल का साथ दे रहे हैं।

इज़राइल और अमेरिका की नाराज़गी

इज़राइल की सरकार ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि इससे फिलिस्तीन में आतंक फैलाने वाले संगठनों को ताक़त मिलेगी। अमेरिका ने भी फ्रांस और ब्रिटेन से कहा है कि इस वक्त ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए, क्योंकि इससे शांति की कोशिशों को नुकसान पहुंच सकता है।

 

फिलिस्तीन की खुशी

फिलिस्तीन के नेताओं ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया है। उनका कहना है कि इतने सालों के संघर्ष और बलिदान के बाद अब उन्हें उम्मीद की एक किरण दिख रही है। लोगों ने सड़कों पर उतरकर इस फैसले का स्वागत किया। उनका मानना है कि अगर और भी बड़े देश साथ आएं, तो फिलिस्तीन को सच में आज़ादी मिल सकती है।

 

ग़ाज़ा की हालत अब भी खराब

ग़ाज़ा में हालात बहुत ही दुखद हैं। बीते महीनों में हज़ारों लोग मारे गए हैं, कई लाख लोग बेघर हो गए हैं। स्कूल, अस्पताल और घर सब तबाह हो चुके हैं। यही वजह है कि दुनिया के कुछ देश अब खुलकर बोलने लगे हैं — उन्हें लग रहा है कि अब चुप रहना सही नहीं।

 

अब आगे क्या?

फिलहाल, सितंबर तक इंतज़ार करना होगा। अगर इज़राइल अपनी सख़्त नीतियाँ नहीं बदलेगा, तो फ्रांस, ब्रिटेन और कुछ अन्य देश फिलिस्तीन को पूरी तरह से एक आज़ाद देश मान लेंगे। ऐसे में,

  • इज़राइल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा,

  • फिलिस्तीन को और देशों से मदद मिलने लगेगी,

  • और शायद, बातचीत का रास्ता भी खुले।

 

निष्कर्ष

यह फैसला सिर्फ़ एक घोषणा नहीं है — यह दुनिया के बदलते रुख का संकेत है। अब ज़्यादा देश चाहते हैं कि फिलिस्तीन को उसका हक़ मिले और इस लंबे विवाद का कोई शांतिपूर्ण हल निकले। अब देखना ये होगा कि क्या इज़राइल झुकेगा या नहीं। लेकिन फिलहाल, यह खबर उन लाखों फिलिस्तीनियों के लिए उम्मीद की एक नई किरण है जो दशकों से इंसाफ़ का इंतज़ार कर रहे थे।

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