Trump Tarrifs: $60 अरब से ज्यादा का भारतीय निर्यात खतरे में, रोजगार और आय पर मंडरा रहा संकट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अगस्त 2025 में भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा कर दी, जिससे कुल आयात शुल्क 50% तक पहुँच गया। ये टैरिफ मुख्य रूप से लेबर-इंटेंसिव और हाई-वैल्यू एक्सपोर्ट सेक्टरों को प्रभावित कर रही हैं। भारत के अधिकांश निर्यातकों के लिए यह लागत काफी अधिक है, जिससे बाजार हिस्सेदारी, रोजगार तथा निर्यात आय पर खतरा उत्पन्न हुआ है।
कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित
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टेक्सटाइल और गारमेंट: भारतीय निटेड गारमेंट्स (Knitted garments) और होम टेक्सटाइल्स पर 60% से ज्यादा टैरिफ।
30% से अधिक टैरिफ डिसएडवांटेज, जिससे बांग्लादेश, वियतनाम आदि के समान उत्पाद प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। -
जेम्स-जेवेलरी: सोना-हीरे-जवाहरात पर 52%+ शुल्क।
$11.9 अरब एक्सपोर्ट—अब तुर्की, वियतनाम, थाईलैंड के मुकाबले कमजोर स्थिति। -
औद्योगिक वस्तुएं और ऑटो पार्ट्स: मशीन व मैकेनिकल उपकरण पर करीब 51% और ऑटोपार्ट्स पर 26% शुल्क।
3% भारतीय एक्सपोर्ट—अमेरिका में इनपर भी भारी शुल्क। -
श्रिम्प/सीफूड: भारतीय श्रिम्प पर 60% टैक्स लगने से एक्सपोर्ट महंगा, प्रतिस्पर्धा में पीछे।
50% टैरिफ, विदेशों में प्रतिस्पर्धी देशों (इक्वाडोर, इंडोनेशिया, वियतनाम) के मुकाबले महंगा। -
ऑर्गेनिक केमिकल्स, मशीनरी, फर्नीचर: 51-54% तक टैरिफ।
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चर्म, फुटवियर, कारपेट: 53-63% तक आयात शुल्क।
किस पर कोई अतिरिक्त टैरिफ नहीं
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फार्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स व स्मार्टफोन, पेट्रोलियम उत्पाद (करीब 50% कुल एक्सपोर्ट, अभी छूट).
भारतीय एक्सपोर्ट पर इसका असर: कीमत, बाजार और तुलना
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भारत से अमेरिका को होने वाला एक्सपोर्ट, ट्रम्प टैरिफ लागू होने के बाद, अगले वर्ष 40-50% तक घट सकता है.
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करीब $60.85 बिलियन का भारतीय एक्सपोर्ट अब सीधे खतरे में है, जो देश के कुल निर्यात का 7.38% और GDP का 1.56% हिस्सा है.
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अमेरिकी खरीदार वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता चुन सकते हैं, जिससे भारत के प्रमुख प्रतियोगी देशों जैसे वियतनाम, बांग्लादेश, तुर्की और इक्वाडोर को अमेरिकी बाजार में फायदा मिल रहा है।
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भारतीय उत्पाद अब अमेरिकी मार्केट में वियतनाम, बांग्लादेश, चीन के समान उत्पादों के मुकाबले महंगे हो गए हैं।
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इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट में $4–5 बिलियन का अनुमानित नुकसान।
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विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्योगों में लाखों लोग नौकरी गंवा सकते हैं क्योंकि इन उद्योगों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।
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पिछले वित्त वर्ष में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार $131.8 अरब तक पहुंचा था, जिसमें करीब $86.5 अरब भारतीय निर्यात शामिल थे
सरकारी बयान और कदम
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वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा, "हम किसानों, श्रमिकों और उद्यमियों के हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे। सरकार स्थिति की गंभीरता को समझती है और सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।"
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भारत सरकार ने पुष्टि की है कि अमेरिका से समाधान के लिए उच्च-स्तरीय बातचीत हो रही है।
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एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स, इंडस्ट्री बॉडीज़ आदि सरकार से राहत पैकेज व सपोर्ट की मांग कर रही हैं।
विशेषज्ञों की राय
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ICRIER रिपोर्ट: ये टैरिफ मुख्यतः लेबर-इंटेंसिव, MSME और ग्रामीण रोजगार आधारित क्षेत्रों को प्रभावित करेंगी। इनके चलते लाखों लोगों की आजीविका खतरे में है.
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Sudhir Sekhri (AEPC): "एक्सपोर्टर्स नुकसान सहने को तैयार हैं, पर लगातार घाटा चलना नामुमकिन है। अगर 50% शुल्क बना रहता है, तो ये ट्रेड एम्बार्गो के समान होगा।"
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Rajendra Jalan (Council for Leather Exports): "हमने खरीदारों को लागत कम करने का ऑफर दिया, लेकिन 50% टैरिफ के बोझ तले व्यापार टिकाना असंभव हो जायेगा।"
चुनौतियां व रणनीति
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चुनौतियां:
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उद्योगों में घाटा, उत्पादन व निर्यात में गिरावट।
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रोजगार की संभावनाएँ और ग्रामीण-अर्थव्यवस्था पर चिंता।
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नए बाजार तलाशना जरूरी।
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रणनीति:
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सरकार को चाहिए कि वह FTAs (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स), ट्रेड डाईवर्सिफिकेशन पर और बल दे।
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निर्यातकों को उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने, वैल्यू एडिशन करने और नए प्रोडक्ट सेगमेंट्स पर ध्यान देना होगा।
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वित्तीय व लॉजिस्टिक्स सपोर्ट के माध्यम से राहत दी जा सकती है।
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ट्रम्प टैरिफ्स भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आए हैं। यदि इनका समाधान जल्द नहीं निकला, तो भारत के कई प्रमुख सेक्टर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं। ऐसे में सरकार और उद्योग दोनों को मिलकर नए बाजार, नए उत्पाद और बेहतर नीतियों पर फोकस करना होगा।